Causes Of Dementia: डिमेंशिया एक गंभीर मेडिकल कंडीशन जो कुछ कॉमन दवाइयों के नियमित सेवन से भी हो सकता है.
Trending Photos
डिमेंशिया, एक ऐसी स्थिति है जो ब्रेन फंक्शन जैसे कि मेमोरी, सोचने और फैसला लेने की कैपेसिटी को प्रभावित करती है. हालांकि यह लक्षण बढ़ती उम्र में बहुत आम होते हैं, लेकिन कुछ दवाइयां भी इस बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकती हैं. इनमें कुछ सामान्य दवाइयां शामिल हैं, जिनका उपयोग हम अक्सर करते हैं.
यह दवाइयां हालांकि तुरंत असर में सुरक्षित लग सकती हैं, लेकिन लंबे समय तक इनका सेवन करने से ब्रेन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. आइए जानते हैं उन पांच सामान्य दवाइयों के बारे में जो डिमेंशिया का कारण बन सकती हैं-
बेनाड्रिल (Benadryl)
बेनाड्रिल एक सामान्य एंटीहिस्टामाइन है, जिसका उपयोग एलर्जी और सर्दी-खांसी के इलाज में किया जाता है. हालांकि, यह दवा ब्रेन पर असर डाल सकती है और पुराने लोगों में डिमेंशिया के जोखिम को बढ़ा सकती है. यह विशेष रूप से बुजुर्गों में अधिक खतरे की स्थिति पैदा कर सकता है.
ओपिओइड्स (Opiates)
ओपिओइड्स जैसे मॉर्फिन, कोडीन, और हाइड्रोकोडोन का उपयोग पेन किलर के रूप में किया जाता है. लंबे समय तक इन दवाओं सेवन ब्रेन के कार्यों को प्रभावित कर सकता है. ओपिओइड्स से ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटरों को भी करता है, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है.
इसे भी पढ़ें- पुरुषों में 50-70 की आयु के बीच भूलने की बीमारी का खतरा, इस उम्र में महिलाएं होती हैं इसका शिकार!
ओमेप्राजोल (Omeprazole)
ओमेप्राजोल एक प्रोटोन पंप इनहिबिटर है, जिसका उपयोग पेट की समस्याओं जैसे गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) के इलाज में किया जाता है. यह दवा पेट में एसिडिटी को कम करती है, लेकिन नियमित सेवन से ब्रेन में भी प्रभाव पड़ सकता है, जिससे डिमेंशिया का जोखिम बढ़ता है.
बेंजोडायजेपिन्स (Benzodiazepines)
बेंजोडायजेपिन्स, जैसे कि डायजेपाम (वैलियम) और अल्प्राजोलाम (जेनक्स), चिंता और अनिद्रा के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं. हालांकि यह दवाइयां तुरंत राहत देती हैं, लेकिन लंबे समय तक इनके सेवन से याददाश्त में कमी, मानसिक स्थिति में गड़बड़ी और डिमेंशिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स (Tricyclic Antidepressants)
यह दवाइयां पुराने डिप्रेशन और चिंता के इलाज में उपयोग की जाती हैं. ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स, जैसे एमिट्रिप्टीलिन और इमिपरामाइन, मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित करती हैं. लंबे समय तक इसका सेवन ब्रेन को कमजोर कर सकता है, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है.
इसे भी पढ़ें- सेप्सिस के मरीजों में मौत के खतरे को दोगुना कर देते हैं कैंसर और डिमेंशिया- स्टडी
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.